आपके लिए
कसमें वफा की आप जहां तक भी खाएंगे l
सब लोग वे यकीन है झूठा बताएंगे ll
उनकी वफा से आज भी ये नाज है हमें l
जाएंगे बो जहां से तो सब को रुलाएंगे ll
उनकी वफा की कब्र पर गर रोशनी नहीं l
हम खुद चिराग बन के उजाले लुटाएंगे ll
लाशे वफा के चेहरे पर है ऐसी ताजगी l
देखेंगे जितने लोग वो आंशु बहाएंगे ll
जो ख्वाब थे हसीन वो तकसीम कर दिए l
आंखो के खालीपन को कहां तक छिपाएंगे ll
जी लोगे जिंदगी तो हमारे बगैर भी l
लेकिन यह लम्हे रोज तुम्हें याद आएंगे ll
महफिल में रोशनी की कमी हो ना पाएगी l
शमा अगर बुझेगी तो हम दिल जलाएंगे ll
ठुकरा चुकी है हमको मंजिले तो क्या हुआ l
मेरा मुकाम आप जहां भर में पाएंगे ll
मौसम- ए -खुशगवार से आए है अजाब l
हम गम जदा हुए तो कभी नज्म गाएंगे ll
ऋषभ दिव्येन्द्र
02-Jul-2021 07:34 PM
बहुत अच्छे 👌👌👌👌
Reply
Roshan sharma
02-Jul-2021 08:01 PM
Thnx
Reply
Aliya khan
02-Jul-2021 05:59 PM
वाह जी कमाल करते हो
Reply
Roshan sharma
02-Jul-2021 06:02 PM
☺️☺️
Reply
Apeksha Mittal
02-Jul-2021 11:25 AM
आपकी कविता सबसे अलग होती है सर , आप कमाल के लेखक है ।
Reply
Roshan sharma
02-Jul-2021 11:28 AM
thnx
Reply